भारतीय डाक ने तंजावुर राम कृति को बेंगलुरु से अयोध्या सुरक्षित पहुंचाया
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भारतीय डाक ने लॉजिस्टिक्स डाक सेवा से भगवान श्री राम की अमूल्य तंजावुर पेंटिंग को बेंगलुरु से अयोध्या सुरक्षित पहुंचाया।
1,900 किलोमीटर की इस यात्रा में कई राज्यों के डाक सर्किलों के बीच सटीक समन्वय और निरंतर निगरानी सुनिश्चित की गई।
यह मिशन उच्च-मूल्य सांस्कृतिक धरोहरों के सुरक्षित परिवहन में भारतीय डाक की क्षमताओं को दर्शाता है।
नागपुर/ देशभर में आस्था और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को सशक्त बनाते हुए, भारतीय डाक विभाग ने एक उल्लेखनीय लॉजिस्टिक्स अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। अपनी विशेष लॉजिस्टिक्स डाक सेवा के माध्यम से विभाग ने भगवान श्री राम की एक अमूल्य तंजावुर शैली की कलाकृति को बेंगलुरु से अयोध्या तक सुरक्षित पहुंचाया। यह अभियान उच्च-मूल्य और संवेदनशील खेपों को संभालने में भारतीय डाक की बढ़ती दक्षता का सशक्त उदाहरण बनकर उभरा है।
पारंपरिक तंजावुर कला शैली में निर्मित यह भव्य चित्र सोने की नींव पर बहुमूल्य और बेशकीमती पत्थरों की जड़ाई से सुसज्जित है। इसका कलात्मक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत विशिष्ट है। इस पवित्र कलाकृति को बेंगलुरु निवासी श्रीमती जयश्री फनीश ने अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को श्रद्धापूर्वक दान किया।
करीब 12 फीट ऊंची और 8 फीट चौड़ी, लगभग 8 किलोग्राम वजनी इस विशाल पेंटिंग को अधिकतम सुरक्षा देने के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए लकड़ी के बक्से में पैक किया गया। बहु-स्तरीय बबल रैपिंग, शॉक-प्रोटेक्शन और पेशेवर हैंडलिंग के जरिए इसकी सुरक्षित पैकेजिंग सुनिश्चित की गई। पूरी यात्रा के दौरान खेप पर निरंतर निगरानी रखी गई और विभागीय अधिकारी वाहन के साथ मौजूद रहे।
यह विशेष वाहन 17 दिसंबर 2025 को बेंगलुरु से रवाना हुआ और लगभग 1,900 किलोमीटर की दूरी तय कर 22 दिसंबर 2025 को अयोध्या पहुंचा। कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न डाक सर्किलों के बीच घनिष्ठ समन्वय इस अभियान की सफलता का आधार बना। बेंगलुरु–हैदराबाद–नागपुर–जबलपुर–रीवा–प्रयागराज–अयोध्या मार्ग पर वरिष्ठ अधिकारियों ने हर चरण में निगरानी रखी। अंतिम चरण में घने कोहरे जैसी चुनौतियों के बावजूद, अत्यंत सावधानी के साथ खेप को सुरक्षित पहुंचाया गया।
अयोध्या पहुंचने पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय की उपस्थिति में इस पेंटिंग को औपचारिक रूप से सौंपा गया और स्थापित किया गया। यह सफल अभियान भारतीय डाक की विश्वसनीयता, सुरक्षा और सेवा उत्कृष्टता को रेखांकित करता है, साथ ही राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में इसकी अहम भूमिका को भी उजागर करता है।